ज़िंदगी में तो वो महफ़िल से उठा देते थे By Sher << क्या क्या बदन-ए-साफ़ नज़र... या-रब आबाद रहे ख़ाक बयाबा... >> ज़िंदगी में तो वो महफ़िल से उठा देते थे देखूँ अब मर गए पर कौन उठाता है मुझे Share on: