ज़ीं-साज़ी अगर आती मुझे मैं तो मिरी जाँ By Sher ज़िंदाँ की तो अपने सैर तू... >> ज़ीं-साज़ी अगर आती मुझे मैं तो मिरी जाँ पलकों से बनाता तिरे फ़ितराक के डोरे Share on: