जैसे कोई दायरा तकमील पर है By Sher << नाकाम हसरतों के सिवा कुछ ... आवाज़ों से जिस्म हुआ नम >> जैसे कोई दायरा तकमील पर है इन दिनों मुझ पर गुज़िश्ता का असर है Share on: