जल गए फिर से कुछ हसीं रिश्ते By Sher << जम्हूरियत का दर्स अगर चाह... अब देख के अपनी सूरत को इक... >> जल गए फिर से कुछ हसीं रिश्ते तंज़िया गुफ़्तुगू की भट्टी में Share on: