जलाल-ए-पादशाही हो कि जमहूरी तमाशा हो Admin वसी शाह शायरी, Sher जलाल-ए-पादशाही हो कि जमहूरी तमाशा हो जुदा हो दीं सियासत से तो रह जाती है चंगेज़ी This is a great जलाल लखनवी की शायरी. True lovers of shayari will love this तमाशा शायरी. Share on: