जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर By Sher << काँटों में रख के फूल हवा ... हद्द-ए-नज़र तक एक दरीचे स... >> जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की Share on: