ज़लज़ले का था सफ़र जिस में की मस्ती हम ने By Sher << न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न... तिरा तो क्या कि ख़ुद अपना... >> ज़लज़ले का था सफ़र जिस में की मस्ती हम ने ख़ुश्क चट्टानों पे दौड़ा दी है कश्ती हम ने Share on: