जलते मौसम में कोई फ़ारिग़ नज़र आता नहीं By Sher << जितने थे तेरे महके हुए आँ... हम से इंसाँ की ख़जालत नही... >> जलते मौसम में कोई फ़ारिग़ नज़र आता नहीं डूबता जाता है हर इक पेड़ अपनी छाँव में Share on: