जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है By Sher << नज़दीक की ऐनक से उसे कैसे... अब ग़र्क़ हूँ मैं आठ पहर ... >> जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है कब कोई लड़की मन का दरीचा खोल के बाहर झाँकी है Share on: