क्या कहूँ ऊबने लगा हूँ 'जमाल' By Sher << लिक्खा है जो तक़दीर में ह... दिल के माबूद जबीनों के ख़... >> क्या कहूँ ऊबने लगा हूँ 'जमाल' एक ही जैसे सुब्ह ओ शाम से मैं Share on: