ज़माने के झमेलों से मुझे क्या By Sher << ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-दूता मे... हर क़दम पर थी उस की मंज़ि... >> ज़माने के झमेलों से मुझे क्या मिरी जाँ! मैं तुम्हारा आदमी हूँ Share on: