ज़माने ने लगाईं मुझ पे लाखों बंदिशें लेकिन By Sher << अभी से पाँव के छाले न देख... उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं ज... >> ज़माने ने लगाईं मुझ पे लाखों बंदिशें लेकिन सर-ए-महफ़िल मिरी नज़रों ने तुम से गुफ़्तुगू कर ली Share on: