जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में By Sher << ये जो चुपके से आए बैठे है... है 'मुनीर' तेरी न... >> जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते Share on: