ज़मीं क्यूँ मुझ से टकराती उफ़ुक़ पर By Sher << हर तरफ़ शोर उसी नाम का है... हिज्र होगा न कोई हिज्र का... >> ज़मीं क्यूँ मुझ से टकराती उफ़ुक़ पर मिरा घर था मिरे ज़ाती उफ़ुक़ पर Share on: