ज़मीन-ए-शेर हम करते हैं आबाद By Sher << लैला चली थी हज के लिए जज़... लहरों का थरथराना क्यूँ-कर... >> ज़मीन-ए-शेर हम करते हैं आबाद चले आते हैं मज़मूँ आसमाँ से Share on: