ज़मीं-नज़ाद हैं लेकिन ज़माँ में रहते हैं By Sher << मैं कैसे तय करूँ बे-सम्त ... और मत देखिए अब अद्ल-ए-जहा... >> ज़मीं-नज़ाद हैं लेकिन ज़माँ में रहते हैं मकाँ नसीब नहीं ला-मकाँ में रहते हैं Share on: