जाने क्यूँ लोगों की नज़रें तुझ तक पहुँचीं हम ने तो By Sher << दरेग़ चश्म-ए-करम से न रख ... 'अज़फ़री' ग़ुंचा-... >> जाने क्यूँ लोगों की नज़रें तुझ तक पहुँचीं हम ने तो बरसों ब'अद ग़ज़ल की रौ में इक मज़मून निकाला था Share on: