जन्नत-ए-सूफ़िया निसार दहर की मुश्त-ए-ख़ाक पर By Sher << रास्ता दे कि मोहब्बत में ... जितने हैं कुश्तगान-ए-इश्क... >> जन्नत-ए-सूफ़िया निसार दहर की मुश्त-ए-ख़ाक पर आशिक़-ए-अर्ज़-ए-पाक को दावत-ए-ला-मकाँ न दे Share on: