ज़रा रहने दो अपने दर पे हम ख़ाना-ब-दोशों को By मुसाफ़िर, Sher << उन को आती थी नींद और मुझ ... लुत्फ़ दूना हो जो दोनों घ... >> ज़रा रहने दो अपने दर पे हम ख़ाना-ब-दोशों को मुसाफ़िर जिस जगह आराम पाते हैं ठहरते हैं Share on: