ज़ुल्फ़ों में तो सदा से ये कज-अदाइयाँ हैं By Sher << आएँगे वक़्त-ए-ख़िज़ाँ छोड... ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान ... >> ज़ुल्फ़ों में तो सदा से ये कज-अदाइयाँ हैं आँखों ने पर ये और ही आँखें दिखाइयाँ हैं Share on: