जवान हो गई इक नस्ल सुनते सुनते ग़ज़ल By Sher << जवानों में तसादुम कैसे रु... जहाँ ज़िदें किया करता था ... >> जवान हो गई इक नस्ल सुनते सुनते ग़ज़ल हम और हो गए बूढ़े ग़ज़ल सुनाते हुए Share on: