जावे थी जासूसी-ए-मजनूँ को ता राहत न ले By Sher << दिलों का फ़र्श है वाँ पाँ... ख़ूब-रू ख़ूब काम करते हैं >> जावे थी जासूसी-ए-मजनूँ को ता राहत न ले वर्ना कब लैला को था सहरा में जाने का दिमाग़ Share on: