झुर्रियाँ क्यूँ न पड़ें उम्र-ए-फ़ुज़ूँ में मुँह पर By Sher << सब अपना हाल कहते रहे चारा... ज़िंदगी चुभ रही है काँटा ... >> झुर्रियाँ क्यूँ न पड़ें उम्र-ए-फ़ुज़ूँ में मुँह पर तन पे जब लाए शिकन पीर-ए-कुहन-साल की खाल Share on: