झूटी बातें मुझे याद आईं जो उस की शब-ए-हिज्र By Sher << मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुर... कुछ लोग यूँही शहर में हम ... >> झूटी बातें मुझे याद आईं जो उस की शब-ए-हिज्र सुब्ह-ए-काज़िब को मैं पेशानी-ए-क़ातिल समझा Share on: