जी ख़ुश हुआ है गिरते मकानों को देख कर By Sher << ख़ुदी वो बहर है जिस का को... मोहब्बत तर्क की मैं ने गर... >> जी ख़ुश हुआ है गिरते मकानों को देख कर ये शहर ख़ौफ़-ए-ख़ुद से जिगर-चाक तो हुआ Share on: