नहीं कि जुर्म-ए-मोहब्बत का ए'तिराफ़ नहीं By Sher << अहबाब को दे रहा हूँ धोका आगे क्या तुम सा जहाँ में ... >> नहीं कि जुर्म-ए-मोहब्बत का ए'तिराफ़ नहीं मगर हूँ ख़ुश कि मिरी ये ख़ता मुआ'फ़ नहीं Share on: