यारब हुजूम-ए-दर्द को दे और वुसअ'तें By Sher << ये ज़िंदगी के कड़े कोस या... मज्लिस में रात गिर्या-ए-म... >> यारब हुजूम-ए-दर्द को दे और वुसअ'तें दामन तो क्या अभी मिरी आँखें भी नम नहीं Share on: