एक दिल है और तूफ़ान-ए-हवादिस ऐ 'जिगर' By Sher << शाम से पहले तिरी शाम न हो... कुछ इश्क़ के निसाब में कम... >> एक दिल है और तूफ़ान-ए-हवादिस ऐ 'जिगर' एक शीशा है कि हर पत्थर से टकराता हूँ मैं Share on: