तूल-ए-ग़म-ए-हयात से घबरा न ऐ 'जिगर' By Sher << वो फ़ुसूँ फूँका कि वहशी भ... क्यूँ मोज़ाहिम है मेरे आन... >> तूल-ए-ग़म-ए-हयात से घबरा न ऐ 'जिगर' ऐसी भी कोई शाम है जिस की सहर न हो Share on: