जिन बातों को सुनना तक बार-ए-ख़ातिर था By Sher << जीना है तो जी लेंगे बहर-त... इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ ज... >> जिन बातों को सुनना तक बार-ए-ख़ातिर था आज उन्हीं बातों से दिल बहलाए हुए हूँ Share on: