जिन की दर्द-भरी बातों से एक ज़माना राम हुआ By Sher << मुझ को अख़बार सी लगती हैं... सनम-परस्ती करूँ तर्क क्यू... >> जिन की दर्द-भरी बातों से एक ज़माना राम हुआ 'क़ासिर' ऐसे फ़न-कारों की क़िस्मत में बन-बास रहा Share on: