जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में By Sher << ये क्या कि हमीं मरते रहें... हस्ती ही अपनी क्या है ज़म... >> जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मत-ख़ाना-ए-दिल के मकीनों में Share on: