जिस हुस्न के जल्वे हैं आरिफ़ की निगाहों में By Sher << सब्र आ जाए इस की क्या उम्... फूँका है किस ने गोश-ए-मोह... >> जिस हुस्न के जल्वे हैं आरिफ़ की निगाहों में वो हुस्न बनावे है काबे को सनम-ख़ाना Share on: