जिसे पढ़ा नहीं तुम ने कभी मोहब्बत से By Sher << अपने मौक़े पे हर इक बात भ... हम बहकते हुए आते हैं तिरे... >> जिसे पढ़ा नहीं तुम ने कभी मोहब्बत से किताब-ए-ज़ीस्त का वो बाब हैं मिरे आँसू Share on: