जिस्म की रानाइयों तक ख़्वाहिशों की भीड़ है By Sher << दिल गया रौनक़-ए-हयात गई जब भी आता है मिरा नाम तिर... >> जिस्म की रानाइयों तक ख़्वाहिशों की भीड़ है ये तमाशा ख़त्म हो जाए तो घर जाएँगे लोग Share on: