जितने बुत हैं मैं सब पे मरता हूँ By Sher << मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ ... जो दोस्त हैं वो माँगते है... >> जितने बुत हैं मैं सब पे मरता हूँ मेरा ईमान एक हो तो कहूँ Share on: