ज़माना ये आ गया है 'रहबर' कि अहल-ए-बीनश को कौन पूछे By Sher << आड़े आया न कोई मुश्किल मे... तू ने ही रह न दिखाई तो दि... >> ज़माना ये आ गया है 'रहबर' कि अहल-ए-बीनश को कौन पूछे जमे हैं मक्कार कुर्सियों पर दिखा रहे हैं गंवार आँखें Share on: