जिए जाते हैं पस्ती में तिरे सारे जहाँ वाले By Sher << मैं भी पलकों पे सजा लूँगा... जो कुछ पड़ती है सर पर सब ... >> जिए जाते हैं पस्ती में तिरे सारे जहाँ वाले कभी नीचे भी नज़रें डाल ऊँचे आसमाँ वाले Share on: