जो बात की थी हवा में बिखरने वाली थी By Sher << वो ज़ुल्म भी अब ज़ुल्म की... मुक़ीम-ए-दिल हैं वो अरमान... >> जो बात की थी हवा में बिखरने वाली थी जो ख़त लिखा था वो पुर्ज़ों में बटने वाला था Share on: