जो दिन चढ़ा तो हमें नींद की ज़रूरत थी By Sher << कैसे सहरा में भटकता है मि... दिल के ख़ूँ से भी सींच कर... >> जो दिन चढ़ा तो हमें नींद की ज़रूरत थी सहर की आस में हम लोग रात भर जागे Share on: