जो दीवानों ने पैमाइश की है मैदान-ए-क़यामत की By Sher << जो काबे से निकले जगह दैर ... जाओ भी जिगर क्या है जो बे... >> जो दीवानों ने पैमाइश की है मैदान-ए-क़यामत की फ़क़त दो गज़ ज़मीं ठहरी वो मेरे दश्त-ए-वहशत की Share on: