जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ By Sher << ख़ुदा जाने ये सोज़-ए-ज़बत... हमें माशूक़ को अपना बनाना... >> जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता Share on: