जो मज़े आज तिरे ग़म के अज़ाबों में मिले By Sher << अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को ... अभी आए अभी कहने लगे लो जा... >> जो मज़े आज तिरे ग़म के अज़ाबों में मिले ऐसी लज़्ज़त कहाँ साक़ी की शराबों में मिले Share on: