जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से By Sher << पहले तुझे बनाया बना कर मि... कौन सुनता है भिकारी की सद... >> जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो Share on: