जो मुक़द्दर था उसे तो रोकना बस में न था By Sher << जवानी को बचा सकते तो हैं ... जब तिरा नाम सुना तो नज़र ... >> जो मुक़द्दर था उसे तो रोकना बस में न था उन का क्या करते जो बातें ना-गहानी हो गईं Share on: