जो मुसाफ़िर भी तिरे कूचे से गुज़रा होगा By Sher << काफ़िर सही हज़ार मगर इस क... जो कुशूद-ए-कार-ए-तिलिस्म ... >> जो मुसाफ़िर भी तिरे कूचे से गुज़रा होगा अपनी नज़रों को भी दीवार समझता होगा Share on: