जो नफ़स था ख़ार-ए-गुलू बना जो उठे थे हाथ लहू हुए By Sher << जो तलब पे अहद-ए-वफ़ा किया... जवाँ-मर्दी उसी रिफ़अत पे ... >> जो नफ़स था ख़ार-ए-गुलू बना जो उठे थे हाथ लहू हुए वो नशात-ए-आह-ए-सहर गई वो वक़ार-ए-दस्त-ए-दुआ गया Share on: