जो तेरी ज़ुल्फ़ के साए में चंद दिन गुज़रे By Sher << बचेगा न काविश से मिज़्गाँ... सारे सवाल आसान हैं मुश्कि... >> जो तेरी ज़ुल्फ़ के साए में चंद दिन गुज़रे वो ग़म की धूप में याद आए साएबाँ की तरह Share on: