जो तिरे ख़ित्ता-ए-बे-आब की ख़्वाहिश न बना By Sher << ख़ुश्क पत्तों में किसी या... जल थल का ख़्वाब था कि किन... >> जो तिरे ख़ित्ता-ए-बे-आब की ख़्वाहिश न बना कुलबुलाता है वो दरिया किसी कोहसार में गुम Share on: