जो तुम परफ़्यूम में डुबकी लगा कर रोज़ आती हो By Sher << मुख़ालिफ़ों को भी अपना बन... मिरे दर्द-ए-निहाँ का हाल ... >> जो तुम परफ़्यूम में डुबकी लगा कर रोज़ आती हो फ़ज़ा तुम से मोअत्तर है हवा में कुछ नहीं रक्खा Share on: